शुक्रवार, 6 अगस्त 2010

गगन गिल मेरे प्रिय कवियों में से एक हैं । उनकी यह कविता पढ़ें।

बच्चे तुम अपने घर जाओ


बच्चे तुम अपने घर जाओ
घर कहीं नहीं है
तो वापस कोख में जाओ,
माँ कहीं नहीं है
पिता के वीर्य में जाओ,
पिता कहीं नहीं है
तो माँ के गर्भ में जाओ,
गर्भ का अण्डा बंजर
तो मुन्ना झर जाओ तुम
उसकी माहावारी में
जाती है जैसे उसकी
इच्छा संडास के नीचे
वैसे तुम भी जाओ
लड़की को मुक्त करो अब
बच्चे तुम अपने घर जाओ

2 टिप्‍पणियां: